
उत्तराखंड की पावन भूमि ऋषिकेश एक बार फिर धार्मिक और आधुनिक सोच के टकराव का केंद्र बन गई है। यहां लायंस क्लब द्वारा आयोजित एक मॉडलिंग शो को लेकर हिंदू संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। शो में भाग ले रही लड़कियों के वेस्टर्न ड्रेस पहनकर रैंप वॉक की रिहर्सल को लेकर बवाल मच गया है।
“वेस्टर्न ड्रेस में रैंप वॉक हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं” – संगठन का दावा
राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन ने आयोजन स्थल पर पहुँचकर विरोध दर्ज कराया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र भटनागर ने कहा:
“ऋषिकेश की पहचान योग, ध्यान और सनातन संस्कृति है, ना कि वेस्टर्न रैंप वॉक। यह आयोजन सनातन धर्म की मूल भावना के खिलाफ है।”
उनका मानना है कि महिलाओं को परंपरागत और मर्यादित वस्त्रों में ही रहना चाहिए, जैसा कि सनातन धर्म सिखाता है।
रैंप पर प्रतिभागियों से भी हुई तीखी बहस
विरोध इतना तीव्र था कि शो में भाग लेने वाले प्रतिभागियों से संगठन कार्यकर्ताओं की सीधी बहस हो गई। मौके पर पहुंचे होटल मालिक के पुत्र अक्षत गोयल और कार्यकर्ताओं के बीच कहासुनी बढ़ गई। हालात बिगड़ते देख बीच-बचाव करना पड़ा।
आयोजन रद्द नहीं हुआ, लेकिन सोशल मीडिया पर ये मुद्दा आग की तरह फैल गया है।
आयोजक बोले – मकसद सिर्फ अवसर देना, आहत करना नहीं
विवाद बढ़ने पर लायंस क्लब ऋषिकेश रॉयल के अध्यक्ष पंकज चंदानी ने सफाई दी:

“यह आयोजन ‘मिस ऋषिकेश’ के चयन के लिए है, जिसका उद्देश्य बेटियों को आगे बढ़ने का मंच देना है। किसी की भी धार्मिक भावना को आहत करने का कोई इरादा नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि आयोजन में किसी प्रकार की अश्लीलता या अनुशासनहीनता नहीं है और आयोजक सभी संस्कृतिक मूल्यों का सम्मान करते हैं।
मॉडर्निटी बनाम मर्यादा: तीर्थ नगरी में दो विचारधाराओं की टक्कर?
यह विवाद कोई नया नहीं है — आध्यात्मिक शहरों में पश्चिमी सोच और सांस्कृतिक मूल्यों की खींचतान अक्सर देखने को मिलती है।
एक तरफ युवा पीढ़ी अभिव्यक्ति की आज़ादी और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक संगठन संस्कारों और मर्यादा की दुहाई दे रहे हैं।
संस्कृति और फैशन में संतुलन की ज़रूरत
ऋषिकेश में उठे इस विवाद ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है –“क्या आधुनिकता और संस्कृति साथ चल सकते हैं?”
इसका उत्तर शायद संवाद और सम्मान के उस पुल में छिपा है, जो दोनों विचारधाराओं को जोड़ सके।
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